आँख दुनिया की हर चीज को देखती है, मगर आँख के अंदर कुछ चला जाए तो उसे कभी दिखाई नहीं देता.
इसी तरह इंसान दुनिया की हर बुराई, हर कमी को देख पाता है,
लेकिन खुदे के अन्दर की बुराई, खुद की कमी को कभी नहीं देख पाता.
ये कहानी एक बादशाह और उसके कुत्ते की है जो हमें बहुत बड़ी सीख देती है. तो आइये पढ़ते हैं इस प्रेरणादायक कहानी को.
ये कहानी एक बादशाह की है, जिन्हें अपने कुत्ते से बड़ा प्यार था. वो शाही अंदाज में रहता था. उस राज्य के लोग कहते थे कि काश हम बादशाह के कुत्ते होते, तो हमारी भी जिंदगी थोड़ी ठीक होती. वह बादशाह जो है अपने प्रजा पर कम ध्यान देते थे, अपने कुत्ते पर ज्यादा ध्यान देते थे, उसके ऊपर बहुत खर्चा भी करता था. इतनी मोहब्बत बादशाह को उस कुत्ते से थी. कुछ लोग मिसाल दिया करते थे कि जानवरों से प्रेम करना हो तो बादशाह से सीखिए. बादशाह जहां भी जाते थे, चाहे वह किसी सभा हो या कहीं जाना हो, हर जगह वह अपने कुत्ते को साथ में रखते थे. दरबार में भी वह बैठा करता था.
एक बार उन्हें किसी राजा से मिलने के लिए दुसरे राज्य जाना था. समुद्री रास्ता था, नाव में सवार हुए और जब नाव में स्वर हुए, उनके साथ कुछ सैनिक थे, कुछ मंत्री थे और उनके अलावा कुछ यात्री भी उस नाव में बैठे हुए थे. अब बादशाह जहाँ जाते थे, वहां वह कुत्ते भी जाते थे. इसलिए उस नाव पे कुत्ते भी बैठा हुआ था. ये उस कुत्ते के लिए पहला सफ़र था, जब वो समुद्री रास्ता तय कर रहा था, नाव पर बैठा था. वह कुत्ते बादशाह के पास बैठा था. जैसे ही नाव रवाना हुई, तो पानी में जब नाव चलती है तो हलचल होती है उसकी वजह से वह कुत्ते असहज महसूस कर रहा था. वह इधर-उधर उछाले मरने लगा, इधर से उधर जा रहा था. तो बाकि जो यात्री तथा मंत्री थे उन्हें डर लग रहा था कि कहाँ बादशाह इस कुत्ते को लेकर आ गए. अब उसकी उछल-कूद की वजह से नाव में बड़ी चिंता हो रही थी कि कहीं नाव पलट न जाये. कहीं कोई यात्री पलट न जाये, कहीं कोई दिक्कत न हो जाये. हर कोई चाह रहा था की बादशाह यह बात समझ ले, लेकिन बादशाह को शुरू-शुरू में तो बड़े अच्छे लग रहे थे कि वाह! ये जो कुत्ता है वह बड़ा अच्छा खेल-कूद रहा है.
थोड़ी देर के बाद यह चीज उन्हें भी परेशान करने लगी. उन्हें लगने लगा कि कोई खतरा न हो जाये. इस कुत्ते की बार-बार उछलने-कूदने से कहीं नाव न पलट जाये. लेकिन वो कैसे समझाए उस कुत्ते को, वो तो उनके दिल का करीब था. वहां जो यात्री बठे हुए थे, उनमे से एक दार्शनिक भी बैठे हुए थे. उस दार्शनिक ने सोचा और जा करके बादशाह से बोला कि गुस्ताखी माफ़ हो हुजुर, लेकिन हमें कुछ-न-कुछ करना होगा. वरना यह आपको जो प्यारा कुत्ता है, वह हम सबको मुसीबत में डाल देगा, ये नाव पलट जाएगी.
बादशाह ने कहा- "आपको जो समझ में आ रहा है, आप वो कीजिये. मेरी तरफ से आपको इजाजत है." वह दार्शनिक गया अपने कुछ साथी के पास और बोला- "दो लोग मेरे साथ आओ कुछ करना है. उन तीनों ने मिलकरके उस कुत्ते को पकड़ा और समुद्र में फेंक दिया. और जैसे ही वह कुत्ता समुद्र गिरा उसके जान पर बन आई. पता नहीं क्या करें. तड़पता हुआ, तैरता हुआ आ करके नाव को पकड़ लिया. थोड़ी देर तक नाव को पकड़ करके साथ में चलता रहा. उसके बाद जो वो दार्शनिक था उसने अपने साथियों से कहा कि आओ अब इसे उठा करके नाव में ले आते हैं. वापस से उन तीनों ने उस कुत्ते को पकड़ा और नाव में बिठा दिया. वह जो शाही कुत्ता था, जो बादशाह का बड़ा प्यारा था, वो चुपचाप एक कोने में जा करके बैठ गया. बादशाह को समझ नहीं आया, बाकि जो यात्री थे उन्हें समझ नहीं आया की ये क्या हो गया? अचानक से इसकी उछल-कूद बंद हो गई. तो बादशाह ने उस दार्शनिक से पूछा कि ये तुमने क्या किया, जो इतना उछल-कूद रहा था, अब वह एक कोने में चुपचाप बैठ गया. तो उस दार्शनिक ने कहा- "बादशाह सलामत बड़ी ही सरल सी बात है. जिंदगी में कभी कोई खुद पर विपत्ती नहीं आती, खुद पर कोई परेशानी नहीं आती, तब तक हमें दुसरे की परेशानी, दुसरे के हालात समझ नहीं आती है. जब खुद की जान पर बन आती है, तो हम दुसरे के हालात अपने-आप समझ जाते है.
सामने वाले की जिन्दगी में क्या चल रहा है, किन वजहों से चल रहा है. आप और हम कुछ नहीं जानते. सामने वाले की जिन्दगी में टिप्पणी करने से पहले दस बार बारह बार सोचियेगा. ये कहना बड़ा आसन होता है कि उस आखिरी गेंद पर छक्के लग सकता था, लेकिन मैदान में जा करके उस गेंद का सामना करना, जो 150 कि.मी. पर घंटे की गति से आती है, वह एक अलग कहानी होती है. तो इसलिए कोशिश कीजियेगा कि आप दूसरों पर कुछ कहने से बचें. अपनी हालात को ,अपनी जीवन को अच्छी करने की कोशिश करें. ये छोटी सी कहानी हमे बस यही बात सिखाती है.
याद रखें कमी देखने है, बुराई देखनी है, तो सबसे पहले अपनी देखिए. उसे ठीक कीजये. उसके बाद आप दुनिया के बारे में कुछ कहना शुरू कीजिये.
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